*भूविस्थापित-किसान अधिकार सम्मेलन 25 मार्च को हरदीबाजार में* ।

*भूविस्थापित-किसान अधिकार सम्मेलन 25 मार्च को हरदीबाजार में* । 
ऊर्जाधानी सन्गठन के तत्वाधान में भूविस्थापित और किसानों की मांग को लेकर अधिकार सम्मेलन आगामी 25 मार्च को हरदीबाजार के नजदीक रलिया नर्सरी में आयोजित किया जाएगा जिसमे विस्थापन,रोजगार, बसाहट ,मुआवजा खदान में भूविस्थापितो की भागीदारी ,जिला खनिज न्यास निधि और राजस्व से जुड़ी हुई समस्याओ पर मन्त्रणा की जाएगी और आंदोलन की आगामी रणनीति पर योजना बनाया जाएगा  ।
उपरोक्त बातों की जानकारी देते हुए संगठन के अध्यक्ष सपुरन कुलदीप ने बताया है कि इस कार्यक्रम में अधिकाधिक लोंगो की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए 80 से ज्यादा पंचायतो में पंचायत प्रतिनिधियों से मिलकर आमन्त्रण दिया गया है और वृहद स्तर पर ग्राम बैठक किया जा चुका है ताकि इस सम्मेलन में जिला प्रदेश देश की वर्तमान हालात पर व्यापकता के साथ विचार विमर्श किया जा सके । उन्होंने सम्मेलन आयोजन के महत्व और आवश्यकता के बारे में बताते  हुए कहा है कि देश और समाज के विकास के लिए आहुति देने वाले मूल निवासी जल,जंगल,   जमीन,शिक्षा,स्वास्थ्य और रोजगार की समस्या से जूझ रहे है किन्तु उनकी समस्या का निराकरण होने के बजाय और विकराल होते चले जा रही है | घने वनों से घिरे कोरबा जिले में काले हीरे की प्रचुरता के कारण सन 1960 से कोयला खदानों के अलावे बिजली सहित अन्य उद्योग भी स्थापित होते चले गए . कोरबा के आसपास बाक्साइड मिलने से एल्युमिनियम कारखाना भी खुला इसके साथ ही अनेक परियोजनाओ का विस्तार होते चला गया जिसके कारण आज कोरबा को ऊर्जाधानी के नाम से जाना जाता है. किन्तु आद्योगिक विकास साथ विस्थापन के शिकार हुए किसानो और उनके परिवार की दशा और दिशा नहीं बदल सका बल्कि उनकी जिंदगी बदतर होते चले गयी . विकास की आहुति में केवल कोरबा की जनता को अपनी बलि देने की मजबूरी बनी हुयी है . यही कारण है कि जिन गाँवो की जमीन को ,जंगलो को उद्योगों ने कारखानों ने निगल लिया है उन गाँवो में पानी ,बिजली सडक ,शिक्षा ,स्वास्थ जैसी बुनयादी समस्याएँ दानव की तरह खड़ी है . आद्योगिकीकरण के 50 से ज्यादा साल गुजर जाने के बावजूद यहाँ के मूल निवासियों को बेरोजगारी, गरीबी के साथ जीवन बसर करने की मजबूरी बन गयी है . ऊपर से पर्यावरण प्रदुषण की संकट से जानलेवा बीमारियों ने जीवन के सालो को आधे से भी कम कर दिया है . सामाजिक , आर्थिक ,सांस्कृतिक रूप से आदिवासी बहुल कोरबा जिला कंगाल हो चुका है . आजादी के बीते इन 73 सालो में लोंगो का शोषण किया गया है | देश और प्रदेश के अलग अलग हिस्से में किसानो-विस्थापितों ने अपने अधिकार की रक्षा के लिए लड़ाई जारी रखा हुआ है किन्तु छत्तीसगढ़ में आद्योगिक नगरी और ऊर्जाधानी के रूप पहचाने जाने वाले कोरबा में जनसंघर्ष को तेज करने की जरूरत है इससे कोरबा में मजदूरों के संघर्ष को भी प्रभावित किया जा सकेगा यही नही असंगठित क्षेत्र के मजदूर भी प्रभावित होंगे साथ ही जिले की राजनैतिक जकडन से बाहर नयी विकल्प तैयार करने में भी मदद मिलेगा | इन्ही सवालों को लेकर आगामी 25 मार्च 2021 को हरदीबाजार में भूविस्थापित-किसान अधिकार सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है जिसमे आन्दोलन की आगे की रणनीति तैयार की जाएगी | जारी विज्ञप्ति में भुविस्थापित किसानों से  तन ,मन, धन से सहयोग करते हुए हजारो की संख्या में शामिल होकर अपने हक़ और अधिकार की रक्षा की लड़ाई को मजबूत बनाने की अपील किया गया है । अधिकार सम्मेलन में मुख्य मांगो को सामने रखकर चर्चा किया जाना प्रस्तावित है जो कि 
01. परियोजना एवं एरिया स्तर पर पुनर्वास समिति का किया जाये । 
02. कोरबा जिले में पेसा कानून का कड़ाई से पालन किया जाये | 
03. सभी खातेदार को रोजगार चार गुना मुआवजा और बेहतर पुनर्वास की व्यवस्था करो।
04. प्रभावित परिवार के बेरोजगारों द्वारा बनाई गई सरकारी समितियों/फर्म/ कंपनी को ठेका कार्य (कोयला परिवहन, पानी छिड़काव, LMV हायरिंग, क्लीनिंग वर्क व अन्य) में 20%आरक्षण दो। स्थानीय बेरोजगारों को प्राथमिकता दो | 
05. लंबित रोजगार ,मुआवजा बसाहट के प्रकरणों का तत्काल निराकरण करो।
06. गांव का आशिंक जमीन अधिग्रहण पर रोक लगाओ।
07. भूविस्थापित किसान परिवार के बच्चों को नि:शुल्क प्राथमिक-उच्च शिक्षा दो।
08. जिला खनिज न्यास निधि का प्रभावित ग्रामों के शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर खर्च करो।
09. पूर्व में अधिग्रहित जमीन वास्तविक खातेदारों को वापस करो, नया अधिग्रहण कानून का पालन करो।
10. रोजगार गारंटी में 200 दिन का काम और 300 रूपये  मजदूरी दो | बकाया मजदूरी का तत्काल भुगतान करो | 
11. बिना भेद-भाव वनभूमि का पट्टा दो, आवास योजना में कम से कम चार लाख रुपये दिया जाये।
12. सभी ग्राम पंचायतों को ग्रामसभा का पूर्ण अधिकार दो, धारा 40 का दुरुपयोग बंद करो।
13. सभी ग्राम एवं वार्डों के विकास कार्यों के लिए पर्याप्त फंड की व्यवस्था करो।
14. असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों के लिए ग्राम स्तर पर पंजीयन किया जाये और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करो।
15. किसानों का सभी कर्ज माफ करो, समर्थन मूल्य में धान खरीदी में भेदभाव करना बंद करो।
16. महिलाओं और युवाओं के लिए रोजगार सृजन ,कौशल उन्नयन की व्यवस्था करो और स्थानीय उद्योगों में नियोजित करो।
17. माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के चुंगल में फंसी स्वयं सहायता समूह की बहनों का कर्जा माफ़ कराया जाए | 
18. चिटफंड कम्पनियों में जमाकर्ताओ का जमा पैसा वापस कराया जाए | 
19. राजस्व मामला,फौती, नामन्तरण ,बटाकन, त्रुटीसुधार आदि समस्या का हर गाँव में शिविर आयोजित कर निवारण किया जाये | 

*सपुरन कुलदीप* 
ऊर्जाधानी भूविस्थापित-किसान कल्याण समिति

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