*एसईसीएल के अधिकारियों का बड़ा कारनामा**खातेदारों की जमीन एक-दूसरे में शामिल करके रोजगार से वंचित कर दिया*

*एसईसीएल के अधिकारियों का बड़ा कारनामा*
*खातेदारों की जमीन एक-दूसरे में शामिल करके रोजगार से वंचित कर दिया*
*दीपका//गेवरा:-*
एसईसीएल दीपका परियोजना के अधिकारी और कर्मचारियों की मिलीभगत से भूविस्थापितों का हक किस तरह मारा जा रहा है इसका उदाहरण सामने आया है। इनकी साजिश के कारण नौकरी के लिए परिवार दर-दर की ठोकर खाने के लिए मजबूर हो रहा है। ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति संगठन इनके लिए आंदोलन करेगा अगर इन्हें नौकरी और न्याय नहीं मिला। इस संबंध में भूविस्थापितों ने कटघोरा के अनुविभागीय दण्डाधिकारी को शिकायत किया गया है।

दीपका परियोजनांतर्गत क्षेत्र के ग्राम रामाधार पिता बंधन राम, निवासी ग्राम सिरकी, तहसील हरदीबाजार के दादा भूखन पिता दुकालू के नाम पर ग्राम चैनपुर में खसरा नंबर 181/1 रकबा 0.145 हेक्टेयर भूमि थी। वर्ष 1986 में दीपका परियोजना द्वारा अर्जित किया गया। इसके एवज में रामाधार ने नियमानुसार रोजगार हेतु नामांकन दाखिल किया गया किन्तु एसईसीएल के अधिकारियों ने अन्य खातों के साथ मर्ज कर रामाधार के चाचा शिवनंदन पिता भूखन को रोजगार देने का हवाला देकर रोजगार से वंचित कर दिया है जबकि शिवनंदन ने अपने पिता भूखन पिता दुकालू के नाम की ग्राम सिरकी में स्थित खसरा नं. 259 रकबा 0.129 हेक्टेयर जमीन के एवज में रोजगार के लिए आवेदन किया था। एसईसीएल के द्वारा रोजगार देते समय साजिशन पूर्वक कम से कम एक एकड़ में एक रोजगार की पात्रता बताकर चाचा शिवनंदन पिता भूखन से दबावपूर्वक शपथ पत्र लेकर अन्य खातों को मर्ज कर दिया था। तत्कालीन समय में प्रचलित नियम एक खाते में एक रोजगार के नियम का उल्लंघन है। पीड़ित रामाधार ने बताया कि दीपका प्रबंधन से एक एकड़ में एक रोजगार का प्रावधान होने की जानकारी मांगेे जाने पर उसे और प्रशासन को गुमराह किया जा रहा है जो कि संबंधित अधिकारी व कर्मचारी के साजिश व सांठगांठ की ओर ईशारा करते हैं। रामाधार ने दादा भूखन के चैनपुर की जमीन खसरा नंबर 181/1 के एवज में रोजगार हेतु उचित कार्यवाही तथा प्रचलित नियमों के साथ छेड़छाड़ कर आर्थिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित करने वाले संबंधित अधिकारी व कर्मचारियों पर दण्डात्मक कार्यवाही की मांग किया है।

इसी प्रकार ग्राम चोढ़ा के रहने वाले भागीरथी के पिता शिवनंदन पिता भूखन के नाम पर ग्राम चैनपुर में खसरा नंबर 181/3 रकबा 0.149 हे. भूमि को भी वर्ष 1986 में दीपका परियोजना द्वारा अर्जित किया गया। भागीरथी रोजगार के लिए नामांकन किया किन्तु अन्य खातों के साथ जमीन मर्ज कर पिता शिवनंदन को रोजगार देने का हवाला देकर पुत्र भागीरथी को रोजगार से वंचित कर दिया गया। शिवनंदन ने पिता भूखन के नाम की ग्राम सिरकी में स्थित जमीन खसरा नंबर 259 रकबा 0.129 हेक्टेयर के एवज में रोजगार के लिए आवेदन किया था। खातेदार शिवनंदन पिता भूखन के नाम चैनपुर में जमीन थी और भूखन पिता दुकालू के नाम खसरा नं. 181/1 रकबा 0.145 हे. जमीन ग्राम चैनपुर और 259 खसरा नंबर की 0.129 हे. जमीन ग्राम सिरकी में थी।

ग्राम सिरकी के रहने वाले प्रकाश कुमार कोर्राम पिता तुला राम की मां श्रीमती चंदा बाई पिता सुखर सिंह के नाम से ग्राम चैनपुर में स्थित खसरा नं. 441/2 रकबा 36 डिसमिल जमीन को अन्य खाते के साथ मर्ज कर जीवराखन पिता सुखर सिंह को रोजगार देने का हवाला देकर प्रकाश कुमार को नौकरी से वंचित किया गया है। प्रकाश की जगह उसके रिश्तेदार मामा जीवराखन को नौकरी दिया गया है। उससे दबावपूर्वक शपथ पत्र लेकर अन्य खातेदारों से फर्जी हस्ताक्षर कराकर खातों को मर्ज करने का आरोप लगाया गया है। जीवराखन पिता सुखर सिंह खातेदार के नाम खसरा नंबर 911/3 रकबा 37 डिसमिल चैनपुर मोहित लाल/जीवराखन पिता सुखर सिंह खसरा नंबर 245/3 रकबा 48 डिसमिल चैनपुर और चंदा बाई पिता सुखर सिंह खातेदार के नाम खसरा नंबर 441/2 में रकबा 36 डिसमिल जमीन ग्राम चैनपुर में है। एसईसीएल दीपका प्रबंधन के द्वारा बार-बार गुमराह किया जा रहा है और उक्त खातों में दो रोजगार अभी भी शेष है। प्रकाश कुमार कोर्राम ने अपनी मां श्रीमती चंदा बाई के चैनपुर की जमीन के एवज में नौकरी, रोजगार मांगा है। भूविस्थापित संगठन ने कहा है कि इनके मांग पर रिकार्ड को सुधारते हुए रोजगार नहीं दिया तो परिवार के साथ मिलकर आंदोलन किया जाएगा।


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